ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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खामोशियाँ बोल रही हैं,
सारी चुप्पी तोड़ रही हैं
रात की परछाइयों का,
राज सभी खोल रही हैं।
छा गई पाश्चात्य संस्कृति,
इंसानियत अब रो रही है
अपनों के संग बेईमानी,
सिर चढ़ कर बोल रही है।
कहाँ खो गई मानवता ?
आज की पीढ़ी सो रही है
स्वार्थ के वशीभूत हो,
अपनी आँखें भिगो रही है।
कर्तव्य पथ से हट कर,
मन का आपा खो रही हैं
बैसाखियों के सहारे,
अपनी मंजिल खोज रही है।
शिथिल-सा हो गया शरीर,
आँखें चमक खो रहीं हैं
मुसीबतों के इस दौर में,
आधुनिकता हावी हो रही है।
कैसा होगा देश का भविष्य!
चिंता अब सता रही है।
कैसे समझाऊँ नयी पीढ़ी को,
बंद दरवाजे खोल रही है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।