डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक ‘हिंदी’ (हिंदी दिवस विशेष)…
हमारी संस्कृति मातृभाषा हिन्दी है,
हिन्दी की बिंदी हमारी शान है
हमारा देश महान है,
हिन्दी भाषा नाम बनाती है।
हिन्दी में स्वर, व्यंजन ५२,
वर्णमाला के अक्षर भाषा का
निर्माण कराते
हिन्दी बिगड़े काम बनाती है,
हिन्दी शिष्टाचार सिखाती है।
हिन्दी ही विश्वास बढ़ाती है,
हिन्दी लोगों का मान बढ़ाती
लोगों को सम्मान दिलाती है,
चिकित्सक, शिक्षक, वकील,
जज ऊँचे-ऊँचे पद दिलाती है।
संसार का निर्माण कराती है,
हमारी जान हिन्दी है
हिन्दी का नाम ऊँचा,
गली, शहर, कूचा-कूचा।
हिन्दी भाषा एक है,
इसके गुण अनेक है
हिन्दी का जग में नाम रहे,
ऊँची तिरंगे की हरदम शान रहे।
होली, दिवाली, ईद हिन्दी,
हमारा गीत त्यौहार, उपहार
संस्कार हमारे मनमीत हिन्दी,
अभिलाषा है हिन्दी।
एक आशा है, हिन्दी भेदभाव मिटाती,
हर घर में खुशियाँ लाती
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
आपस में है भाई-भाई।
हिन्दी भाईचारा बढ़ाती,
बुराई का अन्त कराती
दशहरा में रावण को जलाती,
दुखियों को सहारा दिलाती है।
पुलिस-प्रशासन की मान
मर्यादा बढ़ाती,
बच्चों का भविष्य बनाती
यह भाषा है बड़ी निराली,
लोगों का जीवन चलाती।
मेहनत और लगन,
हिम्मत का पाठ पढ़ाती।
तब जाके ये हिन्दी कहलाती,
और हिन्द-वासी कहलाते॥