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पद्य में प्रथम कुमकुम सिन्हा ‘काव्यकृति’ व गद्य में डॉ. मोहन प्रताप ‘भारतीय’ विजेता

इंदौर (मप्र)।

मातृभाषा हिन्दी को और लोकप्रिय बनाने के अभियान में हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा सतत स्पर्धा कराई जाना जारी है। इस कड़ी में ‘शिक्षक समाज का दर्पण’ (शिक्षक दिवस विशेष) विषय पर स्पर्धा आयोजित की गई। इस ८६ वीं प्रतियोगिता में उत्कृष्टता अनुसार पद्य में प्रथम विजेता कुमकुम सिन्हा ‘काव्यकृति’ बनी हैं तो गद्य में डॉ. मोहन प्रताप ‘भारतीय’ जीते हैं।
परिणाम जारी करते हुए यह जानकारी मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन व संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। श्रीमती जैन ने बताया कि, प्राप्त रचनाओं में से श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने पद्य में ‘पर क्या सच में…?’ रचना के लिए श्रीमती सिन्हा (बिहार) को प्रथम स्थान दिया है। इसी श्रेणी में ‘शिक्षक सच्ची राह दिखाता’ के लिए मीरा सिंह ‘मीरा’ (बिहार) को दूसरा और ‘गुरु ज्ञान दीप’ के लिए डॉ. रामकुमार झा ‘निकुंज’ (दिल्ली) को तीसरा स्थान मिला है।
मंच संयोजक प्रो.डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, परामर्शदाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने सभी विजेताओं व सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार-सम्मान एवं १ राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त १.५४ करोड़ ३० हजार दर्शकों-पाठकों के अपार स्नेह और १० सम्मान पाने वाले इस मंच द्वारा कराई गईं उक्त स्पर्धा में गद्य वर्ग में पहला स्थान ‘गिरते स्तर के लिए समाज का प्रत्येक वर्ग जिम्मेदार’ आलेख पर ‘भारतीय’ (हिमाचल प्रदेश) ने पाया है, जबकि दूसरा स्थान ‘धुंधली होती शिक्षकीय आदर्श परम्परा पर ठोस कार्य जरूरी’ आलेख पर ललित गर्ग (दिल्ली) को मिला है। ऐसे ही रश्मि लहर (उप्र) के आलेख ‘समाज तथा परिवार के मध्य महती सेतु शिक्षक’ को तृतीय विजेता चयनित किया गया है।