अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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‘कात्यायनी’,
शक्ति स्वरूपा
रूप तेरा भाए,
सिंह वाहिनी
शक्तिनी।
‘कात्यायनी’,
सत्य-असत्य
जग तेरी शरण,
त्रिनेत्र देखे
न्यायमयी।
‘कात्यायनी’,
विश्वास दिया
महिषासुर को मारा,
कष्ट मिटाती
संजीवनी।
‘कात्यायनी’,
तेरी पूजा
मिलती असीम शांति,
शक्ति सजीव
सुखदायी।
‘कात्यायनी’,
स्नेह-आशीष
सतयुग से कलयुग,
सबका भरोसा
आसरा।
‘कात्यायनी’,
शीश झुकाएं
भरो मन झोली।
महिमा गाएं,
पालनहार॥