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हरि ॐ

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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नयन लिया जग से अपने तनि मूंद जिया अनुकूल किया,
तब हरि दर्श मिला मुझको हिय को हलका जब फूल किया।

छवि मन में रख सोंच रही तुमको तब प्रीतम ज्ञान मिला,
इक तुम ही अपने जग में हरि भूल तुम्हें बड़ भूल किया।

जब-जब नाम लिया मन साजन तू तब ही झट आन मिला,
अब तक क्यूँ तड़पा दिल को किस कारण था यह शूल किया।

प्रतिपल याद करूँ तुमको मुझको बस तो मन निर्मल दो,
प्रियतम केवल चाहत में सुन मोह मया इस थूल किया।

मति सर कीच हटा कर मोहन बुद्धि जलाशय स्वच्छ किया,
कमल लगा जप नामक दुर्गुण कुंभज नाश समूल किया।

तल मन अंतस में तुम थे मन के गहरे जल सागर में,
झिलमिल स्वच्छ हुआ उर भीतर नीर स्वरूपम मूल किया।

परिमल-सा नर जन्म लिया ममता कालिख क्यों घोल लिया,
अवगुण दानव श्याम कृपा रख भूमि दिखा कर धूल किया॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।