प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी
सहारनपुर (उप्र)
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अग्र-भाग रसना का जपता जिनके दो अक्षर शिव नाम।
धन्य जन्म कृतकृत्य हुए वे पहुंचे अविनाशी शिव-धाम॥
बिल्व-पत्र संग थोड़े जल से प्रसन्न होते करुणेश्वर,
सबके हितकारी सबका कल्याण करें जपते श्री राम।
अग्र-भाग रसना का…॥
ज्योति-स्वरूप अजन्मे शिव हैं कार्य और कारण से परे,
व्यवधानों से शून्य निरंजन, निर्विकार शिव हैं निष्काम।
अग्र-भाग रसना का…॥
शिव का प्रणव स्वरूप मंत्र है सब जग विधाओं का बीज,
एक अक्षर ओंकार-ब्रह्म को मैं करती नित-नित प्रणमाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
भक्ति और मुक्ति सुखदाता हे! शिव -शंभो नमो नमः,
नाम तुम्हारा धारण मन में तुममें मगन हूँ आठों-याम।
अग्र-भाग रसना का…॥
समस्त जग के परम-प्रबंधक शक्ति नियंत्रक, संचारक,
जग उत्पत्ति के कारक शिव विस्तारित हैं हर आयाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
आप सभी में बने चेतना, भोग, आनंद, इच्छा-शक्ति,
मुझ में भक्ति बन के जागृत ज्ञान- रूप लो अंगुरि थाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
नाम की नौका शिव की कृपा से बैठी ज्ञान की ले पतवार,
गुरु कृपा शिव-मंत्र मिला शिव नाम जाप जागृति, विश्राम।
अग्र-भाग रसना का…॥
देह-त्याग के समय कृपा कर अपना स्मरण करवाना,
अंतिम-चिंतन, अंतिम-गति में प्रकटो बनकर रूप ललाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
दृढ़ वैराग्य करे जो धारण वो पाये शिव पर अधिकार ,
गति-मति शिव आप सुधारें नाम जपो ना डरो परिणाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
उत्कंठित हो नाम आपका रटती रहूं मैं शिव-शंकर,
सदा विराजित हृदय कमल में शिव-सुंदर संग गौरा वाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
तुम्हें भूलना इससे बड़ी कोई भूल नहीं है प्राणेश्वर,
हर पल अपना नाम जपाओ दंड-भेद संग साम और दाम।
अग्र-भाग रसना का…॥
अग्र-भाग रसना का जपता जिनके दो अक्षर शिव नाम।
धन्य जन्म कृतकृत्य हुए वे पहुंचे अविनाशी शिव-धाम…॥