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अच्छे जो ठहरे

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बुरा है आज आदमी का अच्छा होना,
पर जो अच्छा है, वो क्या करे ?,
अच्छे जो ठहरे।

परेशानी यही कि अच्छाई छूटती नहीं,
बुराई सीखते नहीं
और,
अच्छी बात रूकती नहीं
बुरी बात सुन नहीं पाते,
क्योंकि
अच्छे जो ठहरे।

समय बदला,
पर
अच्छे लोग,
हमेशा आसमां से रहे
उठते गए,
दूसरों की मदद करते रहे
क्योंकि,
अच्छे जो ठहरे।

इंसानियत बहुमूल्य है,
और आदमियत भी
महानाश करता सदा अहम्,
समझ कर भी बने जो अनजान
उसे देना पड़ता सदा ज्ञान,
क्योंकि,
अच्छे जो ठहरे।

सब बदलें, तो भी नहीं बदलेंगे
अच्छे लोग
अच्छी आदतें,
अच्छा व्यवहार
जरूरी है समाज के लिए ‘संजीवनी’,
इसी पर टिका है सब कुछ
यही है हर वर्तमान-भविष्य की नींव,
क्योंकि,
अच्छे जो ठहरे॥