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प्रियतम

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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हो नहीं तुम पास प्रियतम,
तुमको पाना चाहती हूँ
गीत जो तुमने सुनाए,
गुनगुनाना चाहती हूँ।

मानता यह दिल नहीं,
इसको कहाँ ले जाऊँ मैं
हर समय चितवन में हो,
फिर भी बुलाना चाहती हूँ।

तुमने तो वादा किया था,
साथ दोगे तुम सदा
क्यों भला मँझधार छोड़ा,
जानना यह चाहती हूँ।

कटेगा जीवन अकेला,
यह खबर मुझको न थी
आज फिर बीता सफ़र मैं,
याद करना चाहती हूँ।

स्वप्न में आओ प्रिये तुम,
हाल मेरा पूछने।
कैसे बीते दिन ये तुम बिन,
सब बताना चाहती हूँ॥