हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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कुछ भी हो जाए,
तुम साथ मेरा मत छोड़ना
लोगों का क्या! वह तो कहते हैं,
तुम यह सब छोड़ो, चलो जाने भी दो यारों।
रखो हाथों में हाथ,
मिलाकर हम दोनों साथ
निकल रहे बेपरवाह होकर,
तुम लोगों की चिंता मत करो
चलो जाने भी दो यारों।
प्यार के इस आसमान में,
उड़ते फिरें हम दोनों
मंजिल मिलेगी जरूर,
फिर चिंता कैसी! चलो जाने भी दो यारों।
रुठने-मनाने का यह अंदाज अच्छा है,
मोहब्बत की हर बात में कोई ना कोई खता है।
पर सच्चा इश्क़ है तो फिर क्यों सोचता है बरसों की,
यह सब छोड़ो, चलो जाने भी दो यारों॥