सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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जब दुनिया की ओर से
कर ली आँखें बंद,
वैरागी-सा हो गया
भीतर का आनंद।
यहाँ वहाँ सब ओर तुम
होता है आभास,
तुममें ही खिलता सदा
पतझड़ में मधुमास।
रंग जगत के देख कर
मन में हुआ विचार,
सच्चा तेरा प्यार है
बाक़ी सब बेकार।
अपनेपन का तुम अगर
कर लोगे विस्तार,
देश नहीं फिर दृष्टि में
सब होगा परिवार।
करते अभिनंदन सभी,
मर्म यही मन भाय।
इसीलिए तो देश हमारा,
विश्व गुरु कहलाय॥