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सहारा

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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परेशानी दुःख-दर्द में घिरे हुए
जीवन में,
कोई भी जब रास्ता
नहीं मिला
कठिनाईयों से तो मैं लड़ा,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

बहुत तलाश रहा था मैं रोशनी को,
मेरे अंधियारे जीवन में
एक किरण दिखी तो किनारा मिला,
तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई।

दुनिया के सितम से मजबूर हम,
टूटा हुआ तारा बन गए हम।
रास्ता खोजते-खोजते,
पर तेरा सहारा मेरे लिए मंजिल बन गई॥