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अटल सदैव अटल थे

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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‘अजातशत्रु’ अटल जी…

एक संकल्प लिए आगे बढ़े वह,
‘भारत रत्न’ देश के लिए जिए
वह नहीं थे किसी से कम,
अटल सदैव अटल थे…।

संघ के पंथ पर चला वह स्वयंसेवक,
स्वदेश के लिए बढ़ता रहा
जिया वह भारत के लिए,
क्योंकि अटल सदैव अटल थे।

पाञ्चजन्य का शंखनाद करके,
वैचारिक मंथन किया जिसने
कहा कुछ भी हो जाए
देश नहीं झुकने दूंगा,
तभी तो अटल सदैव अटल थे।

सत्ता की वेदी पर पहुँच कर,
उन उलझनों से दूर रहे
स्वाभिमान बन मस्तमौला आगे बढ़ता रहे
क्योंकि अटल सदैव अटल थे।

परमाणु की शक्ति को जिसने बढ़ाया,
राजनीति में विपक्ष की ताकत को बताया
मिल-जुलकर सकारात्मक प्रयासों से देश को चलाया,
इसलिए अटल सदैव अटल थे।

भारत के प्रधानमंत्री बन उन्होंने
भारत का गौरव बढ़ाया,
हिन्दी को विश्व में पहुँचाया।
काव्य शिरोमणि रचनाओं के,
सृजनकर्ता को करते हैं हम नमन क्योंकि,
अटल सदैव अटल थे॥