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अटल जी युग पुरुष

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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‘अजातशत्रु’ अटल जी…

प्रखर वक्ता युग पुरुष और
कवि हृदय सुकुमार थे,
‘अटल बिहारी’ नाम जिनका
देश की पहचान थे।

पच्चीस दिसंबर जन्मदिन और
ग्वालियर स्थान था,
हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन
पर उन्हें अभिमान था।

वे निडर थे शत्रु की
उनने न कुछ परवाह की,
मिल गई उनको उपाधि
‘भारत रत्न’ महान की।

तीन बार चुने गए वे
जन नायक थे देश के,
भाजपा के थे वे नेता
प्रधानमंत्री देश के।

उनके जीवन का अधूरा
प्रश्न एक बाक़ी रहा,
कोमल हृदय सुकुमार कवि
बोलो कुँवारा क्यों रहा ?

क्या मिला उनको न कोई
प्यार कर पाते कभी,
थी कहानी प्रेम की जो
सच न हो पाई कभी।

था वो कॉलेज ग्वालियर का
पढ़ने जाते थे जहाँ,
राजघराने की एक कन्या से
मिले थे वे वहाँ।

दे दिया दिल उसको कह
पाये न कुछ वो ज़ुबान से,
लिख दिया काग़ज़ पर अपने
प्रेम के इज़हार को।

रख दिया पुस्तक के अंदर
भेजा था पैग़ाम तब,
बाँट जोही थी मगर
उत्तर न आया बाद तक।

सोचा था उनने कि अब तो,
दिल ये मेरा है नहीं।
दिल तो केवल एक है,
कुछ और हो सकता नहीं॥