राधा गोयल
नई दिल्ली
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‘अजातशत्रु’ अटल जी…
सारे जग में नाम रहेगा अटल तुम्हारा,
चमक रहे आकाश में बनकर एक सितारा।
पत्रकार, वक्ता प्रखर, ओजस्वी कवि थे,
किया प्रकाशित सारे जग को, ऐसे रवि थे।
वो… जिनका सम्मान विपक्षी दल भी दिल से करते थे,
कुछ ऐसे भी थे, जो सत्ता खो जाने से डरते थे।
सन् उन्नीस सौ सतहत्तर में उनको देखा था,
समझ गये तब वहाँ जेल में, क्या कुछ झेला था।
जेल की यातनाओं का ब्यौरा नहीं बताया,
ओजस्वी भाषण देकर जन जोश जगाया।
हौज़काज़ी चौराहे पर एक अद्भुत वक्ता,
मंत्रमुग्ध हो जिन्हें सुन रहे थे सब श्रोता।
नहीं बैठने की व्यवस्था, न ही कोई पण्डाल लगा था,
फिर भी वहाँ अपार जनसमूह शान्त खड़ा था।
इतनी भीड़ थी, तिल रखने की जगह नहीं थी,
छज्जों और दुकानों तक पर भीड़ जुटी थी।
पहले दिन जब इन्दिरा गाँधी की रैली थी,
था विशाल शामियाना, और कुर्सियाँ बिछी थीं।
किन्तु नदारद थे श्रोता, खाली कुर्सियाँ पड़ी थीं,
केवल थोड़े से चमचों की भीड़ जुड़ी थी।
जब विपक्ष में थे, तब भारत को गौरव दिलवाया था,
संयुक्त राष्ट्र में भाषण दे, हिन्दी का मान बढ़ाया था।
सहज भाव से कह देते थे, बड़ी चुटीली बातों को,
हँस-हँस कर सह जाते थे, वो शत्रु के आघातों को।
सत्ता का कोई लोभ नहीं था, कभी नहीं चाहा प्रतिशोध,
अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया, नहीं तब आया क्रोध।
फौरन अपना त्याग-पत्र, जा राष्ट्रपति को सौंप दिया,
निष्काम भाव से राष्ट्र के हित में, कुर्सी से मुँह मोड़ लिया।
राजनीति का खेल नहीं आता था उनको,
राजनीति की विषकन्या ने मारा उनको।
तेरह तिथि को शपथ ग्रहण और तेरह दिन सरकार चली थी,
सत्ता के लालच में कुछ लोगों ने, मिलकर चाल चली थी।
फिर दोबारा सत्ता में आए, तब करगिल का युद्ध हुआ था,
धमकी दी थी बिल क्लिंटन ने…
युद्ध बंद करवाओ या परिणाम भुगतने को तैयार रहो।
पाक सुबह परमाणु दागेगा, उससे मत रार करो,
वाह रे स्वाभिमानी… हार नहीं मानी…।
रार नहीं ठानी…बोली एक बानी…,
मैं इसी समय से हिन्द की…
आधी आबादी को खत्म समझता हूँ
पर ?????
अगली सुबह विश्व के नक्शे से…
पाकिस्तान नाम का देश गायब हो जायेगा।
पोखरण में परमाणु परीक्षण कर…,
भारत की ताकत का परिचय पहले ही दे चुके थे।
सेना को आजादी दे दी, कारगिल विजय पाई थी,
तब ही अपना विजय तिरंगा, वो फहरा पाई थी।
भला बँधे हाथों से कोई युद्ध लड़ा जाता है ?
हाथ खुले हों सैनिक के, तो किला जीत लाता है।
कहाँ गये तुम, कहाँ गये, रोते हैं भारतवासी
तुम्हें देखने को सबकी आकुल आँखें हैं प्यासी।
कहाँ बताओ केन्द्र बिन्दु अभिलाषाओं का चला गया ?
नीलगगन का एक सितारा, अमर राह पर चला गया।
जो सपने देखे थे आपने, उनको पूर्ण करेंगे हम,
भेदभाव और मज़हब की दीवारें चूर्ण करेंगे हम।
एक हमारा गुलशन है, और एक हमारा माली,
अलग-अलग फूलों से ही है गुलशन में खुशहाली॥