ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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हँसती है जब तेरी आँखें,
हँस पड़ते हैं लाखों तारे…
सजती है जब हँसी होंठ में,
सागर मोती मिले किनारे…।
सँवर गए हैं जीवन कितने,
हँसते जब-जब हाथ तुम्हारे…
हँसते हैं जब गेसू तेरे,
आहें भरती मस्त बहारें…।
हँसते तन-मन का बाँकपना,
खिल उठते हैं फूल न्यारे…
हँसता जब माँग का सिंदूर,
दहक उठे तब साँझ सकारे…।
हँसती है जब तेरी चूनर,
हँस पड़ते नदियों के धारे…
हँसता काला तिल जा बनता,
रतिया का काजल रतनारे…।
हँसती जब पाँव में पायल,
सज जाते हैं सरगम सारे…।
बजती चूडियों की खनखन,
हँसते आँगन और द्वारे…॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।