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राष्ट्रभाषा के समर्थन में पढ़ीं एक से बढ़कर एक रचनाएँ

जबलपुर (मप्र)।

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के अभियान के तहत संस्कारधानी जबलपुर में विशाल हिंदी महाकुम्भ आयोजित किया गया। इसमें भारत के १६ राज्यों के लगभग १६० कवि-कवियत्रियों ने हिन्दी पर केन्द्रित एक से बढ़कर एक रचनाएँ राष्ट्रभाषा बनाने के समर्थन में रची-पढ़ीं।
राष्ट्रीय प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी द्वारा आयोजित इस कुम्भ में सशक्त हस्ताक्षर परिवार सहित संस्थापक गणेश श्रीवास्तव ‘प्यासा’ के सराहनीय प्रयास रहा। माँ सरस्वती के पूजन उपरांत वंदना तरूणा खरे ने की। मुख्य अतिथि धर्म प्रकाश वाजपेयी (अटल विश्व हिंदी संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष) रहे। अध्यक्षता आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे ने की। विशिष्ट अतिथि साध्वी अरून्धती गिरि की गरिमामय उपस्थिति रही। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. अभिजात कृष्ण त्रिपाठी व राजेश पाठक को सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में संगम त्रिपाठी व गणेश श्रीवास्तव सहित हस्ताक्षर के पदाधिकारियों का भी सम्मान किया गया। विनोद कुमार पाण्डेय, शिवनाथ सिंह, डॉ. बालकृष्ण महाजन, डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’ (राजस्थान), प्रदीप मिश्र ‘अजनबी’ व डॉ. गुण्डाल विजय कुमार आदि ने रचनात्मक सहयोग दिया। कुम्भ में सभी को हिंदी सेवी स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।
आभार मदन श्रीवास्तव ने माना।