सुनीता रावत
अजमेर(राजस्थान)
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आई बसंत पंचमी,
वातावरण में छाई बहार
हर दिशा में गूँज रहा,
वीणा का मधुर संचार।
पीले फूलों की चादर से, सजी धरा की रानी,
सरसों के खेतों में देखो, प्रकृति है मुस्काई
कोयल गाए अमृत वाणी, बगिया में आई बहार,
शिशु के अधरों पर हँसी, करता माँ को प्रणाम बार-बार।
विद्या की देवी, ज्ञान की गंगा,
तेरी कृपा से चलता जीवन का चक्र अनंता
वीणा की झंकार से गूँजे, हर कोना, हर द्वार,
तेरी महिमा अपरम्पार, तू है शुभ संकल्पों का आधार।
बुद्धि, विवेक और सृजन की ज्योति,
संगीत, साहित्य और कला की पावन शक्ति
माँ तू ही तो ऊर्जा है, हर चेतन मन की,
तेरे आशीष से चमकती है रोशनी हर जीवन की।
पीले वस्त्रों में सजे नर-नारी,
भक्ति में तल्लीन हुए सब घर-घर प्यारे
सरस्वती वंदन करें, ज्ञान का हो विस्तार,
हर बच्चे की जुबां पर, माँ तेरी ही जयकार।
माँ सरस्वती, हमें शक्ति दो, हमें बुद्धि दो,
हममें समर्पण और सृजन की वृत्ति दो
हमारे जीवन में हमेशा रहे उजियारा,
तेरी कृपा से बहे ज्ञान का धारा प्यारा।
हर अक्षर में बसे तेरा रूप,
हर वाणी में तेरा स्वरूप
तेरी महिमा का गुणगान करें,
सभी तेरा आशीर्वाद धरें।
बसंत पंचमी का पावन पर्व,
हम सबको दे अपार आनंद।
माँ सरस्वती की कृपा से,
मिले सबको ज्ञान अनंत॥