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वर दो

मीरा सिंह ‘मीरा’
बक्सर (बिहार)
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पुस्तकधारिणी वीणापाणि,
ज्ञान सुधा उर भर दो
रहूँ सदा तेरी गुण गाती,
माता मुझको वर दो।

कर दो मन से दूर अँधेरा,
माँ ज्योतिर्मय कर दो
बढ़कर थामों हाथ हमारा,
मन ऊर्जा से भर दो।

भटक न जाऊँ जग माया में,
माता हाथ पकड़ लो
झंकृत कर दो मन वीणा को,
मुझमें अपना स्वर दो।

मेरे सब अवगुण हर लो माँ,
मन को निर्मल कर दो।
मनवांछित आशीष मुझे दो,
हाथ शीश पर धर दो॥