अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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हे ‘सरस्वती’,
मिले विद्या का दान
बनें साक्षर।
माँ ‘वाणीश्वरी’,
मिले सबको खुशी
दे ऐसा वर।
‘वीणावादिनी’,
मानव अधिकार
सभ्य जीवन।
माता ‘शारदा’,
अक्षर वरदान
तुमसे मिले।
तुम ‘वाग्देवी’,
तुम ही सरस्वती
तुम शारदा।
हे ‘बुद्धिदात्री’,
अक्षर अमृत मिले
बनाओ ज्ञानी।
आप ‘विदुषी’,
देना हमें विवेक
बनें सफल।
अक्षर बोध
दिखाए हमें लक्ष्य
भाग्य स्वर्णिम।
हे माँ ‘भारती’,
जगमगाए देश
सदा उत्सव।
‘हंसवाहिनी’,
धैर्य, शील औ’ शांति
दें आशीर्वाद॥