अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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आम-सा था वो,
पर था बड़ा खास…
उससे मिलना हुआ ऐसे,
सावन बरसे अचानक जैसे…।
उसकी सादगी, अपनापन,
भूलता नहीं आज भी मन…
ऐसे ही ताड़ते रहे उसे,
कोई अपना हो जैसे।
सितारा था, पर जमीं नहीं छोड़ी,
अकस्मात चला गया वो…
उसका जाना जैसे कोई रहस्य है,
ज़िंदगी ने फिर मिलाया ही नहीं है।
आज भी है वो मेरी यादों में,
भूलता नहीं दिल उसे बातों में।
शायद, मिले फिर किसी मोड़ पर,
उसकी महक है आज भी साँसों में।