सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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क्यों डराते हो अँधेरे को अँधेरे के लिए,
उन्हें पता ये है चिराग़ रोशनी के लिए।
नहीं रुकता है सुनो काम किसी के लिए,
चलते रहना ही है ज़रूरी ज़िंदगी के लिए।
गुज़र गया अगर समय यही बताने में,
नहीं किया है कोई काम इस जमाने में।
शिकवा फिर बाद में करने से कुछ नहीं होगा,
हाथ पर हाथ रख बैठने से कुछ नहीं होगा।
भला करो सदा उपकार दूसरों के लिए,
यही करेगा कुछ उद्धार ज़िंदगी के लिए।
है शुक्रिया कि दिया जिस्म कुछ करने के लिए,
कुछ तो करो काम भला तुम इस जमाने के लिए॥