प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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महाशिवरात्रि विशेष…
मैं कठपुतली श्री शिव की बस,
नाचूं श्री शिव के हाथ।
कितनी डोर खींचे जग-ज़ालिम,
डोर सौंपूं मैं दीनानाथ॥
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल,
देह ज्यों नाची झटपट-झटपट,
हाथ बने करताल।
शिव ने आश्रय डोर संग बांधा,
उठूं-बैठूं-चलूं दे-दे शिव ताल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
टूटे कभी ना जो डोर शिव थामे,
चाहे नाच-नाच हो बुरा हाल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
शिव सुंदर सों प्रीति मन बांधी,
काटें वही सब जी का जंजाल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
भजन मिला सों भक्ति मन लागा,
हुई मैं तो हाय कैसी मालामाल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
विनती करूँ मैं अपने शिव बैरागी,
हर कदम संभालो मेरी चाल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
कर जोर मांगे वंदना ‘शिवदासी’,
कृपा करो करो प्रभु जी निहाल।
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल…
रे मन तू गा प्राण दें संग ताल,
देह ज्यों नाची झटपट-झटपट,
हाथ बने करताल॥