प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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हे शिव! शंभू नाथ मेरे, शिवदासी करती वंदना,
बैठ तुम्हारे श्रीचरणों में, पूरी हो हर साधना।
शिव क्षमा करो हर भूल स्वयं को प्रकट करो,
खींचो हिरदय हर शूल स्वयं को प्रकट करो।
तुमरे प्रेम में मन बैरागी,
चुनता भक्ति के फूल स्वयं को प्रकट करो।
जागो शंभू भोर भई है,
श्रद्धा झूले पर झूल स्वयं को प्रकट करो।
शिव तुम मुझमें ऐसे समाओ,
जैसे सुगंध हो फूल स्वयं को प्रकट करो।
जीवन अंध कूप सम लागे,
पल छूटे जो नाम को मूल स्वयं को प्रकट करो।
धर्म एक मेरा कर्म एक हो,
करूँ पूजित चरनन धूल स्वयं को प्रकट करो।
स्वार्थ भरे सब स्नेह निमंत्रण,
मुख पीछे छिपते गूल स्वयं को प्रकट करो।
सुख संसारी चार दिनन के,
गुण गायन सच्ची हूल स्वयं को प्रकट करो।
शिव क्षमा करो हर भूल स्वयं को प्रकट करो।
खींचो हिरदय हर शूल स्वयं को प्रकट करो॥