सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
***********************************************
गया अभी छोटा अल्हड़ फरवरी,
आया देखो अब मतवाला मार्च
फागुन मन लेकर खास,
रंग अबीर, गुलाल बिसराए दुखों को खास।
आया देखो मतवाला मार्च,
रंग-बिरंगी होली पर
मारे ये भर-भर पिचकारी,
भक्त प्रहलाद और होलिका की याद दिलाए गाथाएं।
राधारानी बरसाना धाम,
कृष्ण का अल्हड़पन
गोपियों संग रास-रंग रचनाएं,
पौराणिक परम्परा दोहराएं।
आया मस्ताना मार्च,
लाया अन्न धान्य
लहर-लहराया खेत-खलिहान,
फागुन-सा मन हो गया आज।
शीतल-शीतल मन्द हवा,
कोयल कूह-कूह बोले
आम की डाली भी झूमें,
पलाश पुष्प अर्पित कर धरा पर।
हवाओं ने वसंत रस घोले,
झाबुआ का लोक-नृत्य
प्रिय सखी संग मनमीत हो ले,
वसुंधरा पर आहट गर्मी की होए।
देखो मार्च माह,
मतवाला-सा डोले
हिमालय के हिम शिखर पर,
भोलेनाथ भी आ बैठे।
जय घोष, हर हर महादेव,
हर हर महादेव, हर बच्चा-बच्चा बोले।
चारों ओर रंगपंचमी,
गैर-अबीर रस पराग घोले॥