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महकाती आँगन

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)….

संसार ‘नारी’,
महकाती आँगन
है अनुपम।

‘नारी’ से जग,
हर ख़ुशी त्योहार
घर श्रृंगार।

‘नारी’ ममता,
नारायणी है नारी
है समर्पण।

‘नारी’ रूप माँ,
बहन-सुता-वधू
मूर्त निःस्वार्थ।

‘नारी’ है प्रेम,
सुकून का आँचल
अति दुर्लभ।

‘नारी’ है शक्ति,
संभाले सब-कुछ
वात्सल्य मूर्ति।

‘नारी’ सर्वत्र,
प्रतिष्ठा दो कुल की
बन कल्याणी।

‘नारी’ बिन क्या,
महिला जग धुरी
तत्व अस्तित्व।

‘नारी’ है मान,
बचाना है दुष्टों से
सु-दृष्टि रखिए।

‘नारी’ पलटी,
मिटेगा स्त्रीत्व-प्रेम
घटेगा मान।

‘नारी’ को मान,
बनाओ समानता
स्त्री चाहे प्रेम।

‘नारी’ है प्यारी,
है नभ-जमीं सारी
सीमा न लांघे।

‘नारी’ तुलसी,
सावित्री सत्यवान की
हुई अमर।

‘नारी’ महान,
ध्यान रखें अस्मिता
लेना संकल्प।

‘नारी’ समझे,
क्रोध-अहम त्यागे
निभाए रिश्ते॥