सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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भूख, ग़रीबी है लाचारी,
कितनों की यह है हत्यारी
सबसे बड़ा शत्रु समझो तुम,
इसके पीछे दुनिया हारी।
भूख की अग्नि जब जलती है,
कहाँ किसी की वह सुनती है
पाप-पुण्य और यश-अपयश,
समझो नहीं अंतर करती है।
समझें जो धन ही सब कुछ है,
इससे बड़ा न जग में कुछ है
उसको मैं क्या कहूँ बताओ,
उससे बड़ा न मूर्ख कोई है।
आदर सदा अन्न का करना,
अन्न-दान सदा तुम करना।
आस-पास यदि लोग हैं भूखे,
खाने का प्रबंध तुम करना॥