ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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अंगुली पकड़कर चलना सिखा दे,
वो बाप होता है,
कांधे पर बिठा कर दुनिया दिखा दे,
वो बाप होता है।
फीस के लिए जो कभी रोने न दे,
वो बाप होता है,
खुद रो कर जो हँसना सिखा दे,
वो बाप होता है।
सारी कमाई जो बेटे पर लुटा दे,
वो बाप होता है,
बेटे को सफलता की जो दुहाई दे,
वो बाप होता है।
बहती मझधार में जो पतवार बने,
वो बाप होता है,
जो कभी चूल्हा न ठण्डा होने दे,
वो बाप होता है।
सोए हुए दिल के अरमान जगा दे,
वो बाप होता है,
दुनिया की हर खुशी कदमों में ला दे, वो बाप होता है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।