लालित्य ललित
दिल्ली
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“भाई साहब नमस्ते” अगले को कहा ही था…
कहने लगे “पेले तो हमारे साथ बैठिए, यह क्या बात हुई कि आप महिलाओं के हिस्से में जा पड़े!”
मन की बात थी, जिसे दिल से कही आखिर यह कोई दिलजला ही कह सकने की हिम्मत रख सकता है।
पांडेय जी ने कहा-“अजी आपको दिल से सुना है, और क्या सुनने के लिए अब जान को भी समर्पित करना पड़ेगा!”
कहने लगे “तिनसुकिया लाल मिर्ची वाले। हमारा नाम आपको पता है कि मिर्ची वाले हैं और वह भी आगरा के, जरा संभल कर रहना!”
अब बोलने की बारी पांडेय जी की थी। कहने लगे कि “हमें कौन-सा व्यापार करना है! हमारे यहाँ कौन बात की कमी हैं!!”
इतने में रामप्यारी आई और कहने लगीं कि “भाई साहब अपने जीजाओं को झेलना बड़ी टेढ़ी खीर है।”
तिनसुकिया बोला “हमें खीर पसंद नहीं, वो क्या है कि मधुमेह की शिकायत है हमें।”
पांडेय जी ने कहा “ऐसा! जरा मुनाफा कम कमाया करो, इससे खरीदार तंत्र-मंत्र कम करेगा! समझें तिनसुखिया जी।”
बेचार बेलन-सा मुँह लेकर ब्रेड पकौड़े २ दबा कर ठूंस गए। पांडेय जी हैरान थे, आखिर पेट में जा रही ब्रेड क्या सोचती होंगी! कि किस मनहूस के पेट की अग्नि को शांत करने जा रही हूँ।
तभी पांडेय जी बातों का पटाक्षेप करते हुए निकल आए।
अपने कमरे में बैठे ही थे, कि बगल में चीकू सो रहा था, पांडेय जी भी ‘आलस श्री’ का खिताब पाने को बेकरार थे। सोते-सोते चीकू बोला कि “पापा जी एक बात बताइए, कि पेट्रोल पम्प कितने बजे खुलता है!”
पांडेय जी ने कहा “क्या डकैती करनी है!”
चीकू ने कहा “नहीं पापा जी, वह क्या हुआ, दोस्त की स्कूटी है। कल खूब चलाई, मेरे पास ही है। सोच रहा हूँ कुछ पेट्रोल भरवा दूंगा। ऐसा करने से मित्रवत संबंध प्रगाढ़ होते हैं और दोस्ती का इकतारा मधुर ध्वनि करता हुआ अग्रसर होता है।”
पांडेय जी समझ गए, छोकरा बापू को इंप्रेस करने के लिए तगड़े-तगड़े शब्दों को मुखारबिंद से प्रस्तुत कर रहा है।
बहरहाल, इतने में पांडेय जी को ज़बरदस्त छींके आई कि चीकू बोल पड़ा, “पापा लगता है कि भूकंप आया है।
पापा ने कहा,”बेटा जी कोई भूकंप नहीं आया, यह तो अपनी छींकें हैं, जो आती है तो धड़ल्ले से आती है।”
तभी पांडेय जी को झपकी आई और वे रचनात्मक मोड पर डायवर्ट हो गए:
‘अंडे वाला बिरजू-
यह कहानी एक कामगार अंडे बिरजू वाले की है,
वह दिल्ली के एक बाजार में शाम को अंडे का ठेला लगाता है
जिसमें ऑमलेट और उबले हुए अंडे बेचता है,
पास में दो जिम भी है
जिसमें नए ज़माने के कई लड़के आते हैं,
जिनका उद्देश्य केवल डोले-शोले बढ़ाने हैं
उनमें से पाँच प्रतिशत का कोई लक्ष्य नहीं है,
वे अमीरजादे हैं
उनकी बुलेट का सायलेंसर निकला हुआ है,
ताकि दूर से ही पता चल जाए कि कौन से कुनबे के युवराज पहुंचने वाले हैं,
कुछ वाकई सशस्त्र सेना या पुलिस के लिए अपनी सेवाएं देने को उत्सुक हैं
पर कम्पटीशन की लगातार हुड़क ने उनको आजकल अवसाद में ले रखा है,
उनके मन में है कि या तो किसी जॉब में नम्बर आ जाए
नहीं तो पापा ने अलसी राम की बेटी शिल्पा से शादी कर देनी है,
इसमें शिल्पा, ज्योति, कल्पना, तृप्ति, प्रियंका, तापसी और सुनयना भी हो सकती है
कोई और नाम जो आपको पसन्द आए, वह भी रखा जा सकता है,
कुछ ऐसे हैं जिन्हें वेट के साथ पेट भी अंदर करना है
तो,
साहब भूल जाइए
जिम वाला भी दो-चार एक्सरसाइज सिखाएगा
उसके बाद आप खुद करने लग जाएंगे,
परिणाम भयंकर होगा
दो-चार नस खिंचवा बैठेंगे और घर बैठ जाएंगे,
आजकल जिम भी बन्द है और जिम से जुड़ी कहानियाँ भी
अच्छे-भले लड़के पसीना बहा कर आते और बिना जर्दी के अंडे खाते,
अंडे वाले बिरजू का धंधा बढ़िया चल रहा था
पिछले दो महीने से घर बैठा है,
पहले दिन में छोले-भटूरे बेचा करता था
इधर दिखाई दिया,
धीरे-धीरे चलता हुआ नजर आया।
अपनी रेहड़ी लिए था,
कहने लगा साहब आजकल केले बेच रहा हूँ,
बीती रात को कई पुलिस वाले पिल पड़े
एकसाथ,
कहने लगे कि ‘लॉकडाउन’ है
बाहर क्यों निकले ?
बिना सेनिटाइजर के,
मैंने कहा कि साहब गरीब आदमी हूँ
रुलाम बांधा हुआ है,
वे बहस के मूड में नहीं थे
बकरे की तलाश में थे,
सामने मैं दिखा और फिर वे चौका और छक्का मारने पर लग गए
कभी सचिन तो कभी सहवाग,
एक तो अपने को विराट कोहली ही समझने लगा
बहुत मारा साहब,
पर मैंने भी उन्हें खूब बद्दुआ दी कि सारे के सारे ‘कोरोना’ से मरोगे,
एक ग़रीब को मारा है न!
ऊपर वाला गिन-गिन कर बदला लेगा
उसने पीठ और अपने नितंब दिखाए,
जो अत्यचार का साक्ष्य थे
मैं देख कर सिहर गया,
सोचने लगा कि क्या इतनी बर्बरता ठीक है!
केवल समझाने के लिए इतना वहशी होना उचित है!
बिरजू को केले के पैसे के अलावा पांच सौ रुपए भी दिए औऱ कहा,-
हल्दी वाला दूध पीना
जल्दी अच्छे हो जाओगे।
वह दुआ देता हुआ चला गया,
मैं सोचता रहा कि बिरजू का एक बेटा भी था
जो उसके साथ अंडे छीला करता था,
उसका क्या हुआ होगा!
क्या उसकी पढ़ाई चल रही होगी!
उसका भविष्य!
पिता की हालत और घरेलू जिम्मेदारी
उफ़!!
ये पुलिस वाले कितने बेदिल हैं!!
जब तक बिरजू अपने को घसीटता हुआ आगे नहीं बढ़ गया,
मैं वहीं रहा सड़क पर।’
तभी रामप्यारी ने पांडेय जी की तंद्रा तोड़ते हुए कहा, “सुनो जी आपकी जैकेट कहाँ रखी है!” पांडेय जी ने कहा कि, “टूटा हुआ बटन तो सामने रखा है दीवार के आले में!”
रामप्यारी बड़बड़ाती हुई आई और दनदनाती हुई चली गई, कहने लगी कि, “मैं पूछ रही हूँ जैकेट और महाशय जी कुछ और बतला रहे हैं।”
शादी वाला घर होता है, वह केवल घर ही नहीं होता, वह मुख्य केंद्र होता है, जहां अड़ोस-पड़ोस के लोग होते हैं, नजदीकी रिश्तेदार होते हैं और कुछ फूफा किसिम के जीव होते हैं, जो यह इच्छा रखते हैं कि कुछ लोग उनके आस-पास ही मंडराते रहें, जबकि ऐसा कहाँ होता है, और भाई साहब! टेक्निकली संभव ही नहीं है कि कोई फूफा को झेल भी ले। मसलन यह किरदार अपनी भव्यता लगभग खो चुका है और कुछ समय बाद देखिएगा, यह प्राचीनकाल के अवशेष में तब्दील हो जाएगा, यह बात अंतर्मन ने स्वीकार की थीं।
पांडेय जी ने महसूस किया कि आमंत्रित रिश्तेदार अधिकांश उत्तरप्रदेश से आमंत्रित थे। हलवाई ब्रेड पकौड़े बना रहा था और कसम से एक बात बताऊं, जैसे- जैसे कड़ाही से ब्रेड पकौड़े छन कर आते जा रहे थे, वैसे ही सबके विशाल पेट में समाते जा रहे थे और भाई साहब भूख की तीव्र इच्छा बतला रही थी कि हमारे देश की पिचानवे प्रतिशत जनता की निगाह खाने पर लगी रहती है। कब आए और कब वे उसे जादू की छड़ी से गायब कर दें।
कुछ ऐसा ही पांडेय जी के साथ वाकया हुआ। हुआ क्या पांडेय जी के कमरे में छगन लाल बैठता है, जो रजिस्टर में एंट्री दर्ज करता है। वह कहता है “साहब जी मुझे छुट्टी वाले दिन केवल सोना पसंद है”, जैसा इंदौर वाले केवल और केवल खाने की बात करेंगे, जब वे आपस में किसी से मिलते हों।
अब आइए दुबारा से शादी वाले घर में! कोई बच्चा दिन में ही पटाखे जला रहा है! उसको कहा तो कहने लगा कि “मुझे तो अभी मिला है, मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूँ, कोई गलत नहीं कर रहा।” अब पांडेय जी क्या कहते!
एक तरफ प्रदूषण का स्तर बढ़ता हुआ दुष्परिणाम दिखा रहा है, कोई मानने को तैयार नहीं, अब किससे कहें और किस का माथा फोड़ें।
जमाना कहाँ से किधर को मुँह उठाए दौड़ा जा रहा है! लक्ष्य का पता नहीं, बस दौड़ना है, इतना भर पता है।
कोई समय से पहले दौड़ गया और कोई बस करीब-करीब है दौड़ने के। अब देखना यह है कि बंदे की छलांग कहाँ तक लग पाएगी!
और भाई साहब किस्सों का क्या है, एक बार बात शुरू होगी तो आगे तक जाएंगी, इतना समझ कीजिएगा!
क्या समझें…!!