सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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ये तन-मन-धन जो है मेरा
वतन के नाम करते हैं,
वतन ये है वतन मेरा-
नमन सौ बार करते हैं।
धरा ये पुण्य माटी से
तिलक हर बार करते हैं,
दशहरा, ईद और होली-
यहाँ सब साथ करते हैं।
न कोई हिन्दू-मुस्लिम है
न कोई सिख-ईसाई,
वतन में रहने वाले सब-
वतन से प्यार करते हैं।
न थकते हैं, न गिरते हैं
न तूफ़ानों से डरते हैं,
ग़रीबी-भूख-पीड़ा में भी-
दिन हम काट लेते हैं।
कुछ थोड़े से हैं विध्वंसक
रुधिर प्रपात करते हैं,
इसी से क़ौम को अपनी-
वे ही बदनाम करते हैं।
हमारे वीर सैनिक जो
खड़े रहते हैं सीमा पर,
बढ़ाकर हौसला उनका-
सदा सम्मान देते हैं।
हमारी शान हैं वे तो
हमें अभिमान है उन पर,
वतन पर प्राण देने को-
सदा तैयार रहते हैं।
हमारे देश की नारी
बनी है आज फुलवारी,
विजय हर क्षेत्र में पायी-
हम सब अभिमान करते हैं।
प्रगति की राह पर चल कर
दिखाया हमने दुनिया को,
युवा भारत के पूरे विश्व-
ही में राज करते हैं।
ये सीताराम की धरती
ये राधेश्याम की धरती,
ये भोलेनाथ की धरती-
सभी गुणगान करते हैं।
सभी के होंठों पर गंगा,
और घर-घर पर तिरंगा हो।
‘वंदे मातरम्’ की ध्वनि की,
हम झंकार करते हैं॥