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प्रतिकार ज़रूरी है

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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पहलगाम में हुआ हादसा
मचा दिया कोहराम वहाँ,
नरभक्षी आतंक फैलाने-
क्रूर, दरिंदे कुछ गए जहाँ।

गए घूमने थे सब ख़ुश हो
कितनों के घर ध्वंस किए,
गोली तक-तक कर थी मारी-
‘जाति’ पूछ आघात किए।

बहा रक्त उस दिन जो
नरसंहार अक्षम्य किया,
कहता धर्म न सहो अनीति-
बदले का संकल्प लिया।

कैसे भूले देश ये घटना
देश पर जिसने चोट किया,
वार हो गहरा गद्दारों पर-
जिसने ऐसा घाव दिया।

युद्ध कभी हितकर नहीं
यद्यपि युद्ध तबाही है,
पर जघन्य अपराध किया जो-
उसका प्रतिकार ज़रूरी है।

देश के उन मासूमों की शहादत
एक-एक रहनेवालों का,
दुश्मन उछल रहा था मद से-
उसको यह बतलाना है।

आसमान से ऊँची ताक़त,
रखते हैं समझाना है।
हिमगिरि पर फिर जा सेना ने,
ध्वज तिरंग फहराया था॥