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मेरी तो यही कहानी…

सम्पति चौरे ‘स्वाति’
खैरागढ़ (छत्तीसगढ़)
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श्रम आराधना विशेष….

मैं मजदूर हूँ बस मेरी,
तो यही एक कहानी है
हर हाल में खुश रहता,
यह मेरी जिंदगानी हैं
किसी ने दर्द नहीं जाना,
जो फटा कपड़ा पुरानी है
सदियों से ही महत्व बड़ा,
यह बात भी समझानी है।

खून और पसीना बहाकर,
सड़कें, बनाए बडे़ कारखाने
चाहे तपती धूप हो या वर्षा,
घर से निकले जो कमाने
रात-दिन मेहनत करता,
दो वक्त की रोटी खाने
मजदूर हूँ;मजबूर नहीं,
किसे जाऊँ मैं यह बताने!

औरों के बुझते दीप जलाए,
कर्तव्य मैं भी निभाता हूँ
कंधों पर टिकी दुनिया सारी,
खेतों में सोना उगाता हूँ
अपने दम पर मैं जीता,
मेहनत की रोटी खाता हूँ
सुकून की ज़िंदगी जीने,
श्रम का मूल्य सिखाता हूँ।

बेरोजगारी निगल रही मुझे,
अमीरों के आगे मजबूर हूँ
खेत-खलिहानों में काम कर,
थककर मैं चकनाचूर हूँ
झुग्गियों में जीवन बिताता,
के हर गम से मैं दूर हूँ।
धरती माँ की सेवा करता,
मेहनत-कमाई से मशहूर हूँ॥