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दैत्यों! प्रतिकार चुकाएंगे

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)…

नंदनवन मन-डोल रिझाने,
कल्प-द्रुम वादियाँ ताकने
सुशोभित चमन लुत्फ उठाने,
चले, अनजान मन बहलाने।

तक्षण, धुआँ, बौछारें धावा,
जन निष्ठुर, निंदनीय धावा
सहज, पल छलनी कर्म कैसा ?
निहत्थे विवश निशाना, कैसा ?

मुकुट, रक्त रंजित, रिपु घाती,
शिव-शंभु आँगन तिमिर छाया
चीख, दृग-नीर, क्यों ? रिपु घाती,
हाय! बलि-चढ़े, तांडव छाया।

कांक्षा, हँसी-ठिठोल संजो,
चहक गुलजार धरणी संजो
सुकुमार बसंत मदमस्त भाया,
अबुध, जीवन रस सर्व खोया।

भस्मासुर प्रवृत्ति दरिंदे,
क्या तुम हिन्दू ? कौन परिंदे ?
कलमा पढ़! गर ग़ैर परिंदे,
संकीर्णता, दंभी दरिंदें।

कलंकित किया, दिल दहलाया,
नीच, बुजदिल, नफ़रत को बढ़ाया
दुष्ट-व्याल औकात दिखाया,
कुरूप, ईर्ष्या कर क्या पाया ?

वेदना संतृप्त, सुख पाया ?
भारत भाल धूमिल, सुख पाया ?
निकली आह! स्तब्ध, सुख पाया ?
चारु, श्री हीन, क्या सुख पाया ?

कूह, सहसा हुक विह्वल उठी,
कुछ पल नेह, विरह तड़प उठी
शिखर, निर्झरी, पत्र-मुरझाए,
नैसर्गिक नरगिस मुरझाए।

दैत्यों! प्रतिकार चुकाएंगे,
ले, लहू तुम्हारा आएंगे
क्रूर, वे फिर मुँह की खाएंगे,
भारती, जय-घोष गाएंगे।

आतंक त्रास जिसने झेला,
इनकी नियति समझ पाएंगे।
जड़ें खोखली कर पाएंगे,
तेवर दिखा, कुचल पाएंगे॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।