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उठो, अपना शौर्य दिखाओ

राधा गोयल
नई दिल्ली
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आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)…

भूली-बिसरी कुछ यादें जब-जब आती हैं याद,
तब-तब मुझसे करती हैं वो, घायल- सी फरियाद।

धर्म के नाम पर कभी मेरे भारत का हुआ बंटवारा,
फिर भी हिंदुस्तान में नहीं,उचित अस्तित्व हमारा।

कहने को हिंदू हैं फिर भी, हम डर- डरकर रहते,
जिन्हें यहाँ से जाना था, वो रोज अकड़ते फिरते।

अपने देवी-देवताओं का अपमान सदा हम सहते,
हम शोभायात्रा निकालते, वो पत्थरबाजी करते।

हमने तो सबको ही अपना माना, और सम्मान दिया है,
सदा विश्व बंधुत्व भाव ही, अपना एक उद्देश्य रहा है।

उनका कोई उत्सव हो, हम हंगामा नहीं करते,
उनकी धार्मिक आस्थाओं पर, कभी चोट नहीं करते।

इसी सहनशीलता को, कमजोरी समझ लिया है,
आतंकवादियों ने हिंदुओं का जीना दुश्वार किया है।

अपने भारत देश में ही हम डर- डरकर रहते,
नापाकी बेखौफ सांड की तरह घूमते रहते।

खौफ के सायों में हमको रहना पड़ता है,
रोज-रोज मरकर हमको जीना पड़ता है।

एक कौम की जनसंख्या बढ़ती जाती है,
हिंदू की जनसंख्या लगातार घटती जाती है।

जनसंख्या भी कम है, और एका भी नहीं है।
हिन्दू को अपने समाज की फिक्र नहीं है।

फिक्र यदि है तो फिर एकजुट होना होगा,
आत्मरक्षा और देशरक्षा के गुरों को सीखना होगा।

उठो नींद से, अपना साहस-शौर्य दिखाओ,
गुरु गोविन्द की तरह चिड़ी से बाज लड़ाओ।

एक-एक जब सौ पर भारी हो जाएगा,
देख तुम्हारा साहस, दुश्मन भाग जाएगा।

अब भी अगर नहीं जागे, तो पछताओगे,
सोचो, हिन्दू राष्ट्र को कैसे बचा पाओगे ?

हिंदू का केवल एक राष्ट्र हिन्दुस्तान है,
यही सनातन सत्य है, हिंदू की पहचान है।

सोने वालों उठो, सामना करना सीखो,
स्वाभिमान की खातिर ‘मरो और मारो’ भी सीखो।

शास्त्री जी ने कभी यही नारा दोहराया,
दुश्मन से बदला लेने का जोश जगाया।

इसी जोश को दिल में आज जगाना होगा,
आतंकवाद का समूल नाश करना ही होगा।

मरना ही यदि है तो बिना लड़े क्यों मरना ?
स्वाभिमान से जीना, और मार कर मरना॥