डॉ. रामचन्द्र स्वामी
बीकानेर (राजस्थान)
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श्रम आराधना विशेष….
मजदूरों को मजबूर बनाना छोड़िए,
अगर-मगर कर उन्हें सताना छोड़िए।
झुके नयन, नग्न बदन है शायद इनका,
इनकी गरीबी का मजाक बनाना छोड़िए।
जिसकी महक से महकता आशियाना,
उस मजदूर की मजबूरी उठाना छोड़िए।
सींच रहा जिसका पसीना जमीं को,
उस तपते तन को ओर तपाना छोड़िए।
बिन इनके चलता नहीं हमारा जीवन,
उनका आत्म सम्मान मिटाना छोड़िए।
शर्मिंदा जिनके आगे पर्वत, नदिया, सागर,
अहंकार में अंतर्मन को मिटाना छोड़िए।
टूटी झोपड़ी, फटा गमछा जिनका श्रृंगार,
बस एक दिन का सम्मान दिलाना छोड़िए।
मजदूर है विकसित भारत का भविष्य,
नये तकनीकी युग में इनके श्रम को भुलाना मत छोड़िए॥
					
		