धर्मेन्द्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
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अब ठान लिया तो हटेंगें नहीं,
तू लाख कोशिश कर ले पर बंटेंगे नहीं
तबाही का मंजर देखेगा तू पाकिस्तान,
तेरी गद्दारी को अब हम भूलेंगे नहीं
अक्ल ठिकाने न आ जाए जब तक,
तब तक अब हम भी हटेंगे नहीं।
याद है हमें बहुत पृथ्वीराज की गाथा,
मोहम्मद गौरी को जब माफ किया था
वही गलती महात्मा गांधी ने की,
हमने उसे भी मान लिया था
पर अब वह इतिहास बनेगा नहीं,
अब खुद गलती की है तो हटेंगें नहीं।
हम तो अभी भी अमन चाहते हैं,
बस उन आतंकियों के सिर चाहते हैं
पर तू तो साथी है आतंकी का,
तो हम भी पीछे कहीं हटेंगें नहीं।
भारत माता के वीर सपूत हैं हम,
चाहे देने पड़ें शीश, हटेंगे नहीं॥