ऋचा गिरि
दिल्ली
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तुम देश हित की बात करो, तुम देश गीत की बात करो,
दुश्मन को जिससे बल मिले, ना धर्म करो, न जात करो,
ना ही ऐसी कोई बात करो।
चलो मिलकर उन्हें दिखाते हैं, हम मिलकर उन्हें जताते हैं,
हम एक थे और एक ही हैं, कुछ इस तरह आघात करो
कुछ इस तरह प्रतिघात करो।
बात हुई है शोलों की, वे चिंगारी बतलाते हैं,
सागर को दरिया, दरिया को सागर
अरे कैसे कह जाते हैं!
दूर दृष्टि में कमी तुम्हारी,
क्या पास भी नज़र ना आता है
वे विश्व पटल पर भारत की महिमा बढ़ने से कतराते हैं।
विदेशी कूटनीतिक प्रयासों का चेहरा दिखाई नहीं देता,
अरे! इस तरह से तो तुम्हारा ही उपहास उड़ाया जाता!
भारत ने जिस तरह से अपना रौद्र रूप दिखलाया है,
विदेशी ताकतों का खून यूँ ही नहीं बौखलाया है।
माना अकस्मात ‘युद्ध विराम’ हुआ,
चोटिल झूठा स्वाभिमान हुआ
पर मत भूलो और देखो, वरदान हुआ,
शौर्य दिखाई, अर्थव्यवस्था भी बचाई हमने
नए भारत का भान हुआ और यह अर्थवान हुआ।
जब वीरों की शौर्य गाथा पन्नों पर लिखी जाएगी,
तब तुम्हारी कायरता भी दर्ज कराई जाएगी
कलम उठा हुंकार करो, इसका सकारात्मक विस्तार करो,
भारत का गुणगान करो, जय-जय जय जयकार करो।
मिलकर आतंकवाद को जड़ से अब मिटाना है,
अपने प्यारे देश भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।
एक विकसित राष्ट्र बनाना है, विकसित राष्ट्र बनाना है॥