पी.यादव ‘ओज’
झारसुगुड़ा (ओडिशा)
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संकल्प हूँ, उद्घोष हूँ,
निज भाव लिए मदहोश हूँ
निर्माण हूँ, आह्वान हूँ,
राष्ट्र-गौरव की पहचान हूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
वतन का हूँ, मैं प्रहरी,
सीमा की, मैं ढाल हूँ
रण पे गूंजे मेरी गाथा,
शत्रुओं का, मैं काल हूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
चाहे बरसे, पथ में बादल,
एक पग भी, मैं न बिचकूं
विप्लव करे, चाहे अंधड़,
पर्वत-सा, मैं अडिग रहूं।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
आस हूँ, मैं विश्वास हूँ,
घर-घर का प्रकाश हूँ
स्वप्न हूँ मैं, हर नयन का,
जनजीवन का सुभाष हूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
अतीत हूँ मैं, वीरों का,
वर्तमान का, मैं प्राण हूँ
भविष्य हूँ, मैं चमन का,
जन का स्वाभिमान हूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
चाह है इस रजकण में,
सर्वस्व मैं अर्पण करूँ
गर मरना पड़े कभी तो,
तिरंगे से लिपट के मरूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥
संकल्प हूँ, उद्घोष हूँ,
निज भाव लिए मदहोश हूँ।
निर्माण हूँ, आह्वान हूँ,
राष्ट्र-गौरव की पहचान हूँ।
एक में भी, मैं हजार हूँ,
मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥