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हिन्दी साहित्य के उन्नयन में बिहार की महिलाओं का भी महनीय योगदान

लोकार्पण…

पटना (बिहार)।

समालोचकों की उपेक्षा के कारण बिहार की महिला साहित्यकार अलक्षित रह गयीं। हिंदी साहित्य के उन्नयन में समेकित रूप से बिहार की महिलाओं का भी अत्यंत महनीय योगदान है। हिन्दी-सेवी डॉ. सुमेधा पाठक ने बिहार की महिला साहित्यकारों पर सामग्री एकत्र कर अपनी पुस्तक के माध्यम से अनेक अलक्षित महिला साहित्यकारों को प्रकाश में लाई हैं, जो प्रसन्नता का विषय है।
यह बात बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में सम्मेलन द्वारा प्रकाशित डॉ. सुमेधा पाठक की पुस्तक ‘बिहार की महिला साहित्यकार’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से एक बड़े अभाव की पूर्ति हुई है। शोध के विद्यार्थियों को भी इस पुस्तक से पर्याप्त बल और सामग्री की प्राप्ति होगी।
बिहार विधान परिषद की पूर्व सदस्य प्रो. किरण घई ने कहा कि बिहार की महिला साहित्यकारों के बारे में क्या कहना। महिला लेखन को प्रोत्साहन बहुत ही कम मिला है। लेखिका ने बड़ा काम किया है।
अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के साहित्य मंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने किया। साहित्यकार डॉ. गीता पुष्प शॉ, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. उषा सिंह, डॉ. कृष्णा सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा व डॉ. भावना शेखर आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शालिनी पाण्डेय ने किया।