डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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अज्ञात रास्ता, अनजान डगर,
जीवन की होती फिर सहर।
अज्ञात रास्तों पर मिलता ज्ञान,
भटक-भटक कर राहें आसान।
अज्ञात रस्ते होते कठिन लेकिन,
लक्ष्य सादे तो मंजिल होती सरल।
अज्ञात रास्ते बनते सबल जब,
मानव करता मेहनत सफल।
अधूरे ज्ञान और अधूरी बातें,
अधूरे सपने, अज्ञात रास्ते।
संघर्ष जीवन का नित्य नियति,
कर्म विधि-विधान का नियम॥