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सायकिल की सवारी

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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सुनो सायकिल बड़े काम की
एक सायकिल रखना पास,
इसमें इतने सारे गुण हैं
सबके लिए बहुत ही ख़ास।

बच्चे-बूढ़े सभी चलाते
मत करना इसका उपहास,
नहीं बहुत महँगी यह आती
है यह सुलभ सभी के पास।

बैठाओ आगे बच्चे को
पत्नी को पीछे बैठाओ,
नहीं लगे पेट्रोल का खर्चा
ले परिवार घूम कर आओ।

रोज़ सबेरे करो सवारी
पैरों की कसरत करवाओ,
कहीं अगर पानी की दिक़्क़त
भर बाल्टी आगे लटकाओ।

चाहे गाँव की पगडंडी हो
चाहे बड़ी सड़क हो चौड़ी,
चलती है आराम से यह तो
टोल पर देना नहीं है कौड़ी।

रोज़ प्रदूषण बढ़ता जाता,
शहरों का तो बुरा हाल है।
करो सवारी सायकिल की
भीड़ में फँसना है जंजाल॥