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शुद्ध अन्न, स्वस्थ जीवन

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ (७ जून) विशेष…

हर थाली में हो जीवन की चमक,
ना हो कहीं भी ज़हर की लपट
विश्व खाद्य सुरक्षा का ये पैग़ाम,
जगाएं इंसानियत का सच्चा काम।

अन्न नहीं, बस रोटी का टुकड़ा,
ये धरती का है अमूल्य उपहार
पर क्या हर निवाला जो खाते,
वो है वाकई सुरक्षित, सार ?

देखो ज़रा अपने आस-पास,
कहीं ज़हर तो परोसा नहीं ?
रंग, स्वाद, नकली मिलावट,
इनसे बढ़ती बीमारियाँ कईं।

स्वच्छ रसोई, स्वच्छ विचार,
पाक-पकवान में हो सत्कार
जिन हाथों से बनता खाना,
वो धोए जाएँ, साफ हों हर बार।

ठंडी चीज़ गरम मत रखो,
कच्चा-पक्का अलग ही रखो
तारीख़ देखो, ढककर रखो,
हर नियम को अच्छे से रखो।

भूख से बड़ी कोई लड़ाई नहीं,
पर ज़हर खा जाना भी सच्चाई है
इसलिए जागो, सबको जगाओ,
खाद्य शुद्धता की अलख जलाओ।

माँ के हाथों की रोटी से लेकर,
रेहड़ी, होटल, फैक्टरी तक में
हर जगह हो एक ही नियम,
‘साफ़-शुद्ध अन्न ही पके हर हाल में।’

मिलावट को कहो सख़्त ‘ना’,
पैकेट पर देखो तारीख़ ज़रा
भरोसा हो तो खरीदो खाना,
वरना होगा मौत से सामना।

बच्चों की थाली में पोषण हो,
न हो कोई जटिल संक्रमण
बुजुर्गों के लिए पके ऐसा अन्न,
जो बढ़ाए जीवन की स्पंदन।

ये दिन नहीं बस जश्न मनाने का,
ये दिन है फिर चेतना फैलाने का
कि खाना सिर्फ़ स्वाद नहीं होता,
ये जां का पहला रक्षा-कवच होता।

‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ की यही पुकार,
खाद्य अधिकार हो सबका अधिकार
खाद्य हो शुद्ध, जीवन हो सुंदर,
कैसे-कहाँ से, समझें हर बार ?

तो उठो, बोलो, जागो आज,
हर घर में गूंजे एक ही आवाज़।
‘खाद्य हो शुद्ध, स्वास्थ्य हो मजबूत,
सब मिल करें भोजन सुरक्षित॥