राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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मैं हूँ हिंदू
तुम मुसलमान,
तेरा है कुरान
रामायण मेरा ईमान,
पर सबसे आगे है
हमारा हिंदुस्तान और-
हम दोनों ही हैं इंसान।
मेरा लहू लाल
तेरा भी है लाल,
मैं भारत माँ का बेटा
तू भी नहीं हो छोटा,
भले तू पढ़ता नमाज़
प्रार्थना करता मेरा समाज
दोनों ही रह रहे हैं खुश-
फिर कैसे होने लगे नाखुश।
नाखुशी का कारण है जानना
हुई गलतियों को है गिनना,
सब राजनीति का है खेला
स्वार्थवश नफरत का है मेला,
नफरत को हमें है पहचानना-
पहचानकर इसे है जड़ से हटाना।
फिर जहाँ में होगा अमन-शान्ति
फिर नहीं होगी कोई भी भ्रान्ति,
मिल-जुल कर सब साथ रहेंगे
फिर से जहां में स्थापित होगा।
जाति-पाति के भेदभाव से दूर,
हमारा अखंड भारत सम्पन्न भारत॥
परिचय-साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।