🔹सम्मान समारोह
नई दिल्ली।
विष्णु प्रभाकर खुद भी आवारा मसीहा थे। वे भी उद्देश्यों को लेकर हमेशा भ्रमणशील रहे। विष्णु प्रभाकर भी इतने ही सादगी पसंद व्यक्तित्व थे। विष्णु जी का मानना था कि साहित्यकार एक दीपक के समान है, जो अंधकार को मिटा उजाला फैलाकर समाज की हर अच्छाई और बुराई को उजागर करता है और साथ ही मार्ग भी दिखाता है।
सहज और सरल साहित्यकार विष्णु प्रभाकर के ११४ वें जन्मदिन पर सन्निधि सभागार में विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान समारोह में यह बात आयोजन की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय साहित्यकार पद्मश्री अशोक चक्रधर ने कही। गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता वरुणा भंडारी गुगलानी और विशिष्ट अतिथि सविता चड्ढा मौजूद रहीं। स्वागत भाषण में प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल प्रभाकर ने सम्मान समारोह और संगोष्ठी के मकसद को उजागर किया।
शुरूआत में प्रवीण शंकर त्रिपाठी की पुस्तक ‘कुर्ग-प्रकृति का वरदान’ का लोकार्पण किया गया। इसके बाद ७ युवा हस्तियों (वीणा गांधी, नरेंद्र रामजीभाई शास्त्री, पूनम माथुर, डॉ. सिरी, अंजना गोस्वामी, महेश शर्मा, डॉ. संजना साइमन) को विष्णु प्रभाकर स्मृति राष्ट्रीय सम्मान-२०२५ से सम्मानित किया गया। मुख्य और विशिष्ट अतिथि ने विष्णु प्रभाकर के साथ बिताए लम्हों और पुरानी स्मृतियों को साझा किया।
संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया।