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‘नशा’ नाश की जड़

ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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नशा नाश की जड़ है भाई,
मत जाना इसके पास,
घर-परिवार में दुःख बांटे,
करे सबको उदास।

बीड़ी-गुटका-तम्बाकू है,
बीमारी का वास,
छोड़ दें हर नशे को वरना,
होगा तेरा नाश।

तेरा नहीं कोई अपना होगा,
ना होगी कोई आस,
दर-दर भटकेगा जीवनभर,
बन जाएगा दास।

जीते-जी तू मर जाएगा,
बन के जिंदा लाश,
जो तू करेगा नशा सोच ले,
मुश्किल होगी लेनी श्वाँस।

आज ही छोड़ नशा पान तू,
कर ले यह विश्वास।
स्वस्थ रहेगा मस्त रहेगा,
खुशियाँ बरसेगी हरदम तेरे पास॥