हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?
वर्तमान परिदृश्य में देखें तो सोशल मीडिया, फिल्म और वेबसाईट के अपराध दृश्यों की नक़ल असल ज़िंदगी में हो रही है, जिससे समाजिक ताना-बाना बिखरा हुआ नजर आ रहा है। इंसान की बढ़ती महत्वाकांक्षा के कारण राह से भटकती युवा पीढ़ी अपना आज तो खराब कर ही रही है, आने वाली पीढ़ी के लिए भी काँटों का ताज तैयार कर रही है। इसी कारण आज शादी की पवित्रता पर सोनम रघुवंशी जैसी लड़की ने कलंक लगा दिया। प्यार-मोहब्बत की झूठी भूमिका के इस चक्रव्यूह के कारण किस प्रकार साजिश को जन्म दिया कि शिलांग में एक शादीशुदा ने पति यानी एक बेगुनाह लड़के की हत्या करवा दी। जो फेरे सोनम ने सात जन्मों के लिए थे, किस प्रकार अपने प्रेमी की मदद से जायज़ रिश्तों का दम घोंट दिया गया। यह घटनाक्रम रिश्तों में घात है, जिसे देखकर दिल दहल जाता है। उन सभी लोगों ने जो राजा रघुवंशी की हत्या में शामिल थे, रिश्तों के साथ आदमी से आदमी के व्यवहार व स्नेह और मैत्री के संबंधों को भी लालच के चक्कर में तार-तार कर दिया।
इंसान आज बड़ा शातिर व चालाक हो गया है और बदल गया है। बरसों पहले किसी कवि ने लिखा था “देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान, सूरज ना बदला चाँद ना बदला, पर बदल गया इंसान।” युवा पीढ़ी का ऐसा बदलाव किस काम का है, जो मानवीय मूल्यों व रिश्तों की हत्या कर रहे हैं। मोहब्बत के साथ रिश्ते, संस्कार व संस्कृति आज सभी कलंकित हो रही हैं। इस घटना से समय के इस बदलते चक्रव्यूह में समाज में आज बहुत गुस्सा है। इसके प्रति अब जागरूक रहने की आवश्यकता है। वर्तमान में ऐसी बदलती संस्कृति हमारे व समाज के लिए भी ठीक नहीं है। युवा पीढ़ी अपने सपनों के लिए अतीत से फरेब ना करे, तो ही अच्छा होगा। कुल मिलाकर कहें कि धोखे की पराकाष्ठा की ऐसी घटना और इस प्रकार की विकृति से सामाजिक ढांचे का क्षरण होगा। आज सामाजिक ताना-बाना ध्वस्त हो चुका है। कल तक जो भी रिश्ते होते थे, वह निभाए जाते थे। उनकी डोर भले कच्ची हो, रिश्ते मजबूत होते थे, पर जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है;लालच, झूठा दिखावा और बिना सोच-विचार के कदम उठाना नकारात्मक पहलू की ओर अग्रसर कर ले जाने में लगा हुआ है। इसी लिए इस प्रकार रिश्ते खण्डित हो रहे हैं।