पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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३५ वर्षीय सावित्री लोगों के घरों में झाड़ू-फटका करके अपनी बेटी खुशी को पढा-लिखा कर उसके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अथक परिश्रम कर रही थी।
७ वर्ष की खुशी बहुत भोली और अबोध लड़की थी, परंतु पढने में बहुत तेज थी। उसकी फटी हुई फ्रॉक को सावित्री बार-बार सिल कर पहनने लायक बना दिया करती थी। आज भी वह फ्रॉक में पैबंद लगा कर पहनने के लायक बना रही थी, तभी खुशी बाहर से खेल कर आ गई और अपनी अम्मा को फ्रॉक सिलते हुए देख कर वह बोली,-“अम्मा अब तो फटा कपड़ा पहनने का फैशन हो गया है। आप क्यों सिल रहीं हैं ? कल स्कूल में जतिन फटा हुआ पैंट पहन कर आया था। जब मैंने पूछा कि स्कूल में फटी पैंट पहन कर क्यों आए हो ? तो वह हँस कर बोला, बुद्धू आजकल फटी पैंट पहनने का फैशन है।
अम्मा मैं भी फटी फ्रॉक पहन कर स्कूल चली जाती…।”
सावित्री ने बिटिया को प्यार से गले लगा कर कहा, “बिटिया फटा पैंट पहन कर अमीर लोग फैशन करते हैं, हम गरीब लोग तो फटी फ्रॉक सिल कर अपनी लाज ढंकते हैं।”