कुल पृष्ठ दर्शन : 5

You are currently viewing लिखते समय लेखक अपने पाठक को भी दृष्टिगत रखें

लिखते समय लेखक अपने पाठक को भी दृष्टिगत रखें

भोपाल (मप्र)।

बेहतर सृजन हेतु रचनाकार द्वारा ‘स्व’ का विसर्जन जरूरी है। रचना लिखते समय लेखक अपने पाठक को भी दृष्टिगत रखें, इस प्रकार एक अच्छी रचना लिखते समय लेखक को एकसाथ कई मोर्चों पर ध्यान देना जरूरी है।
यह उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार और समीक्षक डॉ. अशोक भाटिया (हरियाणा) ने लघुकथा शोध केंद्र समिति (भोपाल) द्वारा आयोजित साप्ताहिक आभासी लघुकथा गोष्ठी-विमर्श में प्रो. मिथिलेश अवस्थी (महाराष्ट्र) के लघुकथा पाठ पर समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए व्यक्त किए।
सर्वप्रथम समिति की निदेशक कांता रॉय ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर आधार वक्तव्य दिया। तत्पश्चात घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ के संचालन में आरम्भ हुई इस गोष्ठी में प्रो. मिथिलेश ने ‘बुद्धू बादल’ सहित विविध विषयों पर लघुकथाओं का प्रभावी वाचन किया। उन्होंने अपनी सृजन प्रक्रिया पर भी बात रखी। गोष्ठी में डॉ. पुरुषोत्तम दुबे व अनिता रश्मि आदि ने लघुकथाओं पर रचनाकार व समीक्षक से प्रश्न पूछे।

प्रो. अवस्थी ने सभी का आभार माना।