हिमांशु हाड़गे
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
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देव तुम, मनुष्य हम,
देता तू, लेता तू
अघोर है, घनघोर है,
आदि है, अनंत है।
आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,
सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥
पल-पल हारा, पलभर में जीता,
विघ्नों को हर लेते हो
शांति प्रदान कर देते हो,
मेरी अंतरात्मा में बसे हो
कण-कण में विराजमान तुम।
आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,
सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥
सभी प्रकार के परिवेश में,
जल में, नभ में, वायु में
गगन में हर जगह तुम ही तुम,
कण-कण में तुम सबके दुःख हर लेते हो
इसलिए महादेव कहलाते हो।
आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,
सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥
दूर कहीं अंधेरा घनघोर है,
एक प्रकाश की किरण तुम
टूटा मैं, फूटा मैं, थोड़ा रूठा-रूठा सा मैं,
पल भर में जोड़ देते हो
मेरे प्यारे मेरे, मेरे सर्वस्व महादेव।
आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,
सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥
रात को शांति, दिन में अशांति,
भाग-दौड़ की ज़िंदगानी
हम सबकी यही कहानी,
ध्यान मग्न हो जाऊं तो तुझमें खो जाता हूँ
मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ मेरे महादेव।
आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,
सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥