हिमांशु हाड़गे
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
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बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो,
चतुर चालाक समय में, ईमानदार ढूंढते हो।
समय की रूपरेखा बनाने वाले,
सबको अपना कहने वाले
सर्वोच्च न्योछावर करने वाले,
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…।
यहाँ वही जिंदा बच पाएगा,
जो हर परिस्थिति में खड़ा नजर आएगा
आँखों की पलकों को झपकाने वालों,
सबको अपना बतलाने वालों।
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…
द्वंद है, परिवेश अपना, झूठा है सारा सपना
सजता सवेरा देखा,मैंने नम आँखों में पानी देखा
पत्थर की मूरत में इंसान ढूंढते हो।
“लाखों में एक मेरा राजा बेटा” कहते हो।
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…।
अपनी बेटी को बड़े-बड़े सपने दिखाने वालों,
लड़कों को कमज़ोर बताने वालों
भेद-भाव में रस ढूंढते हो,
समय की रूपरेखा बनाने वालों।
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…
दोगली दुनिया में, सच्चाई ढूंढने वालों,
दूसरों के दामन में दाग लगाने वालों
सफेद कालर में शुद्धता ढूंढते हो,
पड़ोसियों से रोज झगड़ने वालों।
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…
मुख पर ‘भाई-भाई’ कहने वालों,
पीठ पीछे बुराई करने वालों
खुद को सत्य साबित करने वालों
घर में क्लेश करने वालों।
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो…
बड़े भोले हो, वफ़ा ढूंढते हो॥