ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
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रिमझिम बारिश जब आती है,
धरती हरी-भरी हो जाती है।
देख कर काले-काले बादल,
मंद-मंद मुस्काती है।
धानी चुनर ओढ़ के,
दुल्हन-सी सज जाती है।
जब लगे बूँदों की फुहार,
सौंधी-सौंधी खुशबू आती है।
ठंडी-ठंडी पवन चले जब,
खेतों की फसलें लहलहाती है।
आसमान में सतरंगी छटा,
इंद्रधनुष दिखलाती है।
झलक मिले जब धूप की,
गुलनार खिल जाती है।
देख कर ये सुंदर नजारे,
तितलियाँ इठलाती है।
रिमझिम बारिश जब आती है,
सबका मन हर्षाती है॥